मैं स्वर्णकार हूँ ,स्वर्णकार होने का मुझको स्वाभिमान ।
मेरी नस-नस में क्षत्रिय रक्तम मैं अजमीढ़ का वंशज हूँ,
मैं मानवता का दिव्य तेज, मैं क्षत्रिय वर्ग का सूरज हूँ ,
मैं हूँ भारत की शान मैं स्वर्णकार हूँ ।।
मैं स्वर्णकार हूँ,स्वर्णकार होने का मुझको स्वाभिमान ।
मैं भारत माँ का पुत्र, मम हाथों में स्वर्ण व्यापर तन्त्र,
मैं स्वदेश की अर्थ रीड, मैं भारत का समृद्ध मन्त्र ,
मैं हूँ समाज का कीर्तिमान,मैं स्वर्णकार हूँ ।।
मैं स्वर्णकार हूँ, स्वर्णकार होने का मुझको स्वाभिमान
| जय महाराजा श्री अजमीढ़ जी |
मेरी नस-नस में क्षत्रिय रक्तम मैं अजमीढ़ का वंशज हूँ,
मैं मानवता का दिव्य तेज, मैं क्षत्रिय वर्ग का सूरज हूँ ,
मैं हूँ भारत की शान मैं स्वर्णकार हूँ ।।
मैं स्वर्णकार हूँ,स्वर्णकार होने का मुझको स्वाभिमान ।
मैं भारत माँ का पुत्र, मम हाथों में स्वर्ण व्यापर तन्त्र,
मैं स्वदेश की अर्थ रीड, मैं भारत का समृद्ध मन्त्र ,
मैं हूँ समाज का कीर्तिमान,मैं स्वर्णकार हूँ ।।
मैं स्वर्णकार हूँ, स्वर्णकार होने का मुझको स्वाभिमान
| जय महाराजा श्री अजमीढ़ जी |