Wednesday 12 October 2011

|| श्री अजमीढ़ जी महाराज की आरती ||

                                                 







|| श्री अजमीढ़ जी महाराज की आरती ||

ओम जय अजमीढ़ हरे, स्वामी जय अजमीढ़ हरे।भक्ति भाव संग पितृ पुरुष का, पूजन आज करें॥ ओम जय….आश्विन शरद पूर्णमासी को, जन्मोत्सव मनता।मेढ़ और मेवाड़ा कुल, मिल यशोगान करता॥ ओम जय….आदि पुरुष कुल श्रेष्ठ, शिरोमणि, हस्तिनापुर जन्मे।महाराजा हस्तोजी के तुम, येष्ठ पुत्र बने॥ ओम जय….सौम्य, सरल, सुन्दर, स्वरुप लख, मन घट नेह भरे।चंद्रवंश के कुल दीपकजी, मन आलोक करें॥ ओम जय….पुरुमीढ़, द्विमीढ़ आपके, अनुज बन्धु कहलाये।सुयति और नलिनी रानी के, हम अंशज बन आये॥ ओम जय….शासक होकर स्वर्णकला का, तुमने मान किया।स्वर्णकला में दक्ष, कला को, नव-नवरुप दिया॥ ओम जय….करे आरती नित्य ही डावर जो मन ध्यान धरे।पितृ पुरुष अजमीढ़ हमारे, दु:ख दारिद्र हरे॥ ओम जय….श्री अजमीढ़ जी महाराज की जय-भारत माता की जय

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