Friday, 17 February 2012

हमारा समाज......!!



चन्द्रवंश में हस्ति नाम प्रतापी राजा की संतान विकुंठन के पुत्र महाराजा अजमीढ़ थे । उनकी माता का नाम रानी सुदेवा था। त्रेता युग में जब परशुराम्जी क्षत्रियों से कुपित होकर उनका संहार कर रहे थे ऐसे आपातकाल में वन स्थित ॠषि-मुनियों ने उन्हें शरण दी। तत्कालीन महाराज अजमीढ़जी क्षत्रियों की दयनीय दशा देखकर चिंतित रहने लगे। उन्हें स्वर्णकला का ज्ञान था, उन्होंने राज्य का कार्यभार युवराज संवरण को सौंपा व वानप्रस्थ आश्रम पहुंच आश्रम स्थापित किया व भयातुर क्षत्रियों को संरक्षण दिया। स्वर्णकारी की शिक्षा देकर सम्मान प्रदान किया। जनकपुरी में शिवधनुष भंग होने के अवसर पर रामजी से परशुरामजी का वार्तालाप होने पर क्षत्रियों के प्रति क्रोध शांत हुआ। जो क्षत्रिय स्वर्णकला में पारंगत हो चुके थे, उन्होंने इस स्वर्णकला को अपनाए रखा व पीढ़ी दर पीढ़ी उन्नत करते हुए सर्वोच्च शिखर पर पहुँचाया। भौगोलिक स्थिति एवं क्षेत्रियता के कारण स्वर्णकार विभिन्न नामों से पुकारे जाते है।







1. देशवाली-मारवाड़ से बहुत वर्ष पहले दिल्ली एवं उत्तरप्रदेश में बसते है।

2. छेनगरिया- कई कारणों से ये बन्धु देशवालियों

3. पछादे- मुख्यत: दिल्ली एवं उत्तरप्रदेश में निवास करते है। देशवालियों से रस्म रिवाज,

खानपान न मिलने के कारण बेटी व्यवहार नहीं है।

4. निमाड़ी- मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में बसते हैं।

5. वनजारी- आंध्रप्रदेश एवं आसपास के क्षेत्रों में बसते हैं। ये लोग बन्जारों का काम करते हैं

एवं उन्हीं के साथ घुमक्क्ड़ जीवन बिताते हैं।

6. पजाबी- हमारे इन बन्धुओं में पंजाब के पहरावे के अतिरिक्त कोई अन्तर नहीं है।

7. भागलपुरी- बिहार के भागलपुर क्षेत्र में निवास करते हैं।

8. मारवाड़ी- मारवाड़ (राजस्थान) से धीरे धीरे देश के विभिन्न प्रान्तों में जाकर बस गये हैं। अपने

को मारवाड़ी हि कहते हैं।

9. ढ़ूढाडी- राजस्थान की जयपुर रियासत के निवासी।

10. शेखावटी- राजस्थान के बीकानेर से लगा क्षेत्र शेखावटी कहलाता है। यहां बसने वाले बन्धु

शेखावटी कहलाते हैं।

11. मालवी- मारवाड़ तथा मेवाड़ से आकर मालवा में बस गये।

12. माहोर- मथुरा, आगरा, करोली आदि स्थानों पर इस नाम से हमारे बन्धु बसते हैं।

No comments:

Post a Comment

Proud To Be SWARNKAR.....!!

Say It Proud ! I am Swarnkar and I am Proud to be one ! 'Swarnkar Ekta Jindabad' || Jai Ajmeedh Ji || Like ✔ Comment✔ Tag ✔...